लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों को चेतावनी दी है कि वे ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न हों जिससे सरकार का नाम खराब हो या बदनामी हो। बुधवार शाम को एक बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों से कहा कि वे इस जिम्मेदारी को बड़े पैमाने पर लोगों की सेवा करने के अवसर के रूप में मानें और उन्हें क्षेत्र में रहने और सप्ताह में कम से कम तीन से चार दिन अपने संबंधित विभाग के काम की समीक्षा करने का निर्देश दिया।
योगी ने मंत्रियों को ठेके और अन्य कार्यो में मध्यस्थता न करने की भी चेतावन दी है। साथ ही योगी ने मंत्रियों से पीपीपी मोड पर विकास कार्य करने के साथ-साथ कुछ नया करने या सोचने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि वे नियमित कार्य करते रहे तो उनके विभागों के पास दिखाने के लिए कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि नहीं होगी और साथ ही उन्हें नए विचारों के साथ आने के लिए भी कहा।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, योगी ने प्रत्येक मंत्री से उन्हें सौंपे गए कार्यो के बारे में पूछा और उनमें से प्रत्येक को विशेष निर्देश भी दिए।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी का यथासंभव उपयोग किया जाना चाहिए ताकि लोगों को सरकारी कार्यालयों में आने की आवश्यकता न हो बल्कि विकेंद्रीकृत माध्यमों से अपना काम आसानी से कर सकें।
उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग को स्वचालित ड्राइविंग संस्थान और ऑनलाइन लाइसेंस जारी करना शुरू करना चाहिए।
योगी ने संबंधित मंत्री से बस डिपो विकसित करने को कहा ताकि उनमें ‘हवाई अड्डे जैसा अहसास’ हो।
योगी ने आयुष मंत्री से कहा कि कम से कम 18 मंडलों में से प्रत्येक में वेलनेस सेंटर स्थापित करने का प्रयास किया जाना चाहिए, यह कहते हुए कि लोग वेलनेस र्रिटीट के लिए बेंगलुरु जैसे स्थानों पर जाते हैं और इस सुविधा को उत्तर प्रदेश में विकसित किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने पर्यावरण विभाग के विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य भर में लगाए जा रहे पौधे जीवित रहें, यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए।
इसके साथ ही अपने आदेश में योगी ने विभाग को प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर भी काम करने को कहा गया है।